कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मेलमैन पब्लिक हेल्थ स्कूल के शोधकर्ताओं ने जून 2020 में ओबेसिटी जर्नल में एक रिसर्च पेपर में आशंका जताई
अमेरिका में पिछले चार दशकों में बच्चों के बीच मोटापा बहुत अधिक बढ़ा है। 1980 में दो से 19 साल के पांच प्रतिशत बच्चे और युवा मोटे थे। 2018 में ये 19 प्रतिशत हो गए। इसके अलावा 16 प्रतिशत बच्चों का वजन अधिक था। विशेषज्ञ चिंतित हैं कि महामारी के कारण अनिश्चितकाल तक स्कूल बंद रहने से बच्चों में मोटापा और अधिक बढ़ने की संभावना है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मेलमैन पब्लिक हेल्थ स्कूल के शोधकर्ताओं ने जून 2020 में ओबेसिटी जर्नल में एक रिसर्च पेपर में आशंका जताई कि महामारी से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ सकती है। मतलब यह कि ऐसे बच्चे टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और लिवर बढ़ने की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। ये आशंकाएं मई में पीडियाट्रिक्स जर्नल में एक स्टडी में सही साबित हुई हैं।
चिल्ड्रंस हॉस्पिटल, फिलाडेल्फिया में दो से 17 वर्ष की आयु के पांच लाख बच्चों, किशोरों के बॉडी मास इंडेक्स की नापजोख पर शोधकर्ताओं ने पाया कि जनवरी 2019 से दिसंबर 2020 के बीच बच्चों में मोटापा कुल दो प्रतिशत बढ़कर 15.4 प्रतिशत हो गया है। अभी हाल के वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ोतरी एक प्रतिशत या उससे कम होती थी। अश्वेत, लेटिनो और कम आय वाले परिवारों के बच्चों में भारी वृद्धि पाई गई। जीवन के शुरुआती दौर में मोटे होने वाले बच्चे बड़े होने पर भी मोटे रहते हैं। अमेरिका में पहले ही 40% वयस्क मोटापे से प्रभावित हैं।
शोधकर्ताओं ने बच्चों का वजन बढ़ने के कारणों का विश्लेषण किया है। स्कूलों में बच्चों को घर के मुकाबले अधिक पोषक और संतुलित आहार मिलता है। वे स्कूल में निश्चित समय पर कुछ खाते-पीते हैं। उन्हें दिनभर खाने के लिए स्नैक्स नहीं मिलते हैं।
स्कूलों में शारीरिक गतिविधियां भी होती हैै। दूसरी ओर घरों के आसपास सुविधाओं के अभाव और सुरक्षा कारणों से बच्चों की हलचल सीमित रहती है।
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