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ऑक्सीजन सेचुरेशन 90 से कम हो तो भर्ती ही नहीं कर रहे कई अस्पताल

 

कोरोना की एक महीने से चल रही लहर के बाद भी मांग के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इंदौर में हर दिन 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन सब मिलाकर बमुश्किल 110 टन आपूर्ति हो पा रही है। हालत यह है कि कई अस्पताल मरीज का ऑक्सीजन सेचुरेशन देखकर भर्ती कर रहे हैं। यदि सेचुरेशन 90 से कम है तो किसी भी बहाने से मरीज को टाल देते हैं।

वजह सिर्फ और सिर्फ ऑक्सीजन की कमी है। इतना ही नहीं यदि ऑक्सीजन की सप्लाय 150 टन प्रतिदिन होने लगे तो तीन दिन में डेढ़ हजार से ज्यादा बेड बढ़ाए जा सकते हैं। इनमें 700 बेड तो एमवाय, चाचा नेहरू और कैंसर अस्पताल में ही बढ़ जाएंगे, जिससे मरीज और उनके परिजन को एक-एक बेड के लिए दर-दर भटकने से मुक्ति मिल सकती है।
दो घंटे भी टैंकर लेट हुआ तो फूल जाती हैं सांसें
ऑक्सीजन शॉर्टेज के कारण अफसर टैंकर की हर घंटे की लोकेशन ले रहे हैं। दो घंटे भी टैंकर लेट हो जाए तो सभी की सांसें फूल जाती हैं। हालांकि विमान से टैंकर जाने से इसमें थोड़ी तेजी आई है। शुक्रवार को भी दो टैंकर विमान से सूरत गए। इस बारे में कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि बाहर से आ रहे गंभीर मरीजों के कारण ऑक्सीजन की मांग बनी हुई है। अस्पताल खुद के प्लांट बना रहे हैं, 10 दिन में बड़ा सुधार दिखेगा।

  • 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिल पा रही है शहर को
  • 130 टन की जरूरत है रोजाना, अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए
  • 150 टन सप्लाय हो तो बेड की संख्या आसानी से बढ़ा सकते हैं
  • 08 टैंकर से ला रहे ऑक्सीजन, 14 टैंकर की है जरूरत
  • आईनाॅक्स से 40, जामनगर से 60, पीथमपुर से 15 टन ऑक्सीजन आ रही है।

बेबसी; ऑक्सीजन नहीं दे पाएंगे, भर्ती कैसे करें

सुदामा नगर निवासी 48 वर्षीय बैंककर्मी को रात 10 बजे तकलीफ हुई। ऑक्सीजन लेवल 92 के आसपास था। परिजन एक से दूसरे अस्पताल भटकते रहे, लेकिन कहीं इलाज नहीं मिला। सबने यह कहकर मना कर दिया कि बेड खाली नहीं हैं। यहां-वहां से सिफारिश लगाई तो दो टूक जवाब मिला, ऑक्सीजन नहीं दे पाएंगे।

मनमानी; अस्पताल पहुंचने तक भर गया बेड

विजयनगर क्षेत्र के अस्पताल में भर्ती एक व्यापारी को रात 1 बजे शिफ्ट करने को कह दिया गया। अस्पताल ने कहा, यदि इन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट नहीं किया तो मुश्किल हो सकती है। परिजन ने 15 किमी दूर एक अस्पताल में बात की, वहां पहुंचे तो बुक करने के बावजूद प्रबंधन ने मना कर दिया कि वेंटिलेटर भर गया। वापस उसी हाल में लौटना पड़ा।

भय; रात में अगर तबीयत बिगड़ी तो क्या करेंगे

तिलकनगर के सेवानिवृत्त शिक्षक का ऑक्सीजन लेवल कम होने पर परिजन पलासिया के एक अस्पताल लेकर गए। डॉक्टर ने चेक किया और पाया कि ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा है। प्रबंधन ने उन्हें ऐसे ही लौटा दिया, क्योंकि डर था कि रात में तबीयत और गड़बड़ हुई तो उन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ सकती है और वह खाली नहीं है।

120 बेड पर ऑक्सीजन पॉइंट, 35 को ही दे रहे
सिनर्जी अस्पताल के संचालक डॉ. सुबोध जैन बताते हैं कि उनके यहां 120 बेड पर ऑक्सीजन पॉइंट हैं, लेकिन सिर्फ 35 बेड पर ही गंभीर मरीजों को भर्ती कर पा रहे हैं। बाकी पर ऐसे मरीज रख रहे हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है। किसी काे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो सिलेंडर लगाते हैं।

ICU में एक मरीज को रोज चाहिए ढाई सिलेंडर
आईसीयू, एचडीयू में हर मरीज को औसत ढाई सिलेंडर लगता है। इंदौर में ऐसे 4 हजार मरीज हैं। तीन हजार मरीज ऑक्सीजन बेड पर हैं। इन्हें प्रति मरीज एक सिलेंडर रोज लगता है। इस तरह हर दिन 130 टन की जरूरत है।

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