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अवैध खनन:11 दिन बाद प्रशासन ने रिपोर्ट दी - जमीन को निजी बताया; वन विभाग ने रिपोर्ट ही खारिज की

रिपोर्ट में बताया गया है बशीपीपरी गांव की सर्वे नंबर 170 की यह जमीन लक्ष्मीबाई अशोक पाटीदार, मनोज, लाखन के नाम है। 
  • जब्त गाड़ियों को लेकर मंत्री पर है डकैती का आरोप

वन विभाग के डिप्टी रेंजर ने जिस जमीन पर अवैध खनन के मामले में पर्यटन मंत्री पर डकैती का केस दर्ज कराने के लिए पुलिस को आवेदन दिया था, वह जमीन जांच में भाजपा मंडल अध्यक्ष मनोज पाटीदार की निकली। प्रशासन का दावा है कि जांच वन और राजस्व दोनों विभागों ने संयुक्त रूप से की है।

रिपोर्ट बनाने में भी पूरे 11 दिन लगे हैं। बावजूद इसके वन विभाग के अफसर ने रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट पर सिर्फ आरआई और पटवारी के ही साइन क्यों हैं। इससे एक बार फिर पूरी कार्रवाई संदेह के घेरे में आ गई है। जमीन बशीपीपरी गांव की है। जिस पर अवैध खनन के आरोप में 10 जनवरी को डिप्टी रेंजर आरएस दुबे ने प्रकरण बनाया था और जेसीबी के साथ ट्रैक्टर व ट्रॉली जब्त किए थे। जमीन की नपती के बाद शनिवार को आरआई शंकर डावर ने तहसीलदार धीरेंद्र पाराशर को रिपोर्ट सौंपी।

घेरे में मंत्री, फिर भी जमीन के मालिकाना हक पर कछुआ जांच

  • 10 जनवरी को डिप्टी रेंजर आरएस दुबे ने अवैध खनन के आरोप में बुलडोजर व ट्रॉली जब्त की थी
  • रिपोर्ट में बताया गया है बशीपीपरी गांव की सर्वे नंबर 170 की यह जमीन लक्ष्मीबाई अशोक पाटीदार, मनोज, लाखन के नाम है।
  • 23 जनवरी को रिपोर्ट पेश हुई। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है वन और राजस्व दोनों की संयुक्त रिपोर्ट है।
  • 11 जनवरी को भीड़ ने हमला किया और ट्रॉली व बुलडोजर ले गई। दुबे का आरोप था कि यह सब पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर की मौजूदगी में हुआ।
  • घटना के बाद वन मंत्री विजय शाह ने स्टाफ को कठघरे में खड़ा किया। उन्हें उत्साही लाल बताते हुए कहा था कि जल्दीबाजी में यह कार्रवाई की गई।

एसडीओ के सवाल...

  • जिस जगह मुरम डाली वह किसकी है इसका रिपोर्ट में कहीं कोई जिक्र ही नहीं है?
  • नपती के लिए आरआई को मैंने पत्र लिखा था, लेकिन रिपोर्ट मुझे क्यों नहीं दी गई?
  • जांच टीम में वन अधिकारी भी शामिल थे तो रिपोर्ट पर उनमें से किसी के साइन क्यों नहीं है?
  • 20 जनवरी को बात हुई थी, दोनों विभाग के बिंदुओं पर जांच करेंगे, उसके पहले रिपोर्ट कैसे दे दी?
  • इतने बड़े मामले की जांच आरआई से कराई गई, बड़े अफसर ने जांच क्यों नहीं की?

वन विभाग के मुनारे ही गड़बड़ निकले
उधर, प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि जांच के दौरान वन विभाग की सीमा बताने वाले मुनारे गड़बड़ मिले। एसडीओ राकेश लहरी, रेंजर बीएस मोर्य ने जांच के दौरान कोई आपत्ति नहीं ली। राजस्व अमले ने टीएमसी मशीन से जमीन नापी।

कार्रवाई के समय दस्तावेज देखे ही नहीं
मनोज पाटीदार का कहना है कि घटना के वक्त मैंने ऋण पुस्तिका, रजिस्ट्री आदि दिखाना चाहे, लेकिन दुबे ने उस वक्त हमारी एक भी बात नहीं सुनी।

केस विचाराधीन है, इस तरह जब्त वाहन नहीं ले जा सकते
अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव के मुताबिक भले ही जमीन राजस्व की निकली, लेकिन सरकारी परिसर से बगैर कागजी कार्रवाई के कोई वाहन उठाकर नहीं ले जा सकते। इसमें धाराएं तो फिर भी डकैती की ही लगेगी।

 

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