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लाइफ मैनेजमेंट:सावधानी से चुनें दोस्त, क्योंकि ये ही आपकी प्रगति की राह प्रशस्त करेंगे


कई लोग मुझसे पूछते हैं कि सच्चा दोस्त कैसे चुनें? मैं आज आपको बताता हूं कि ज़िंदगी में कैसे दोस्त होने चाहिए। बौद्धिक और निजी, दोनों तरह की दोस्ती के मानदंड अलग-अलग हो सकते हैं।


बौद्धिक दोस्ती : आज से करीब 29 साल पहले 5 जुलाई 1991 को दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वॉरेन बफे और सबसे अमीरों में से एक बिल गेट्स की मुलाकात हुई। इस मुलाकात की एक दिलचस्प कहानी है। हुआ यूं कि बिल गेट्स की मां ने उन्हें वॉरेन बफे से घर पर मिलने को कहा। बिल अंतर्मुखी इंसान हैं और उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि कंपनियों की रिपोर्ट्स में घुसे रहने वाले और उम्र में काफी बड़े बफे में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन मां के जिद करने पर वे मिले। दोनों की मुलाकात दिनभर चलती रही। राजनीति, सेवा, नवाचार से लेकर न जाने कितने विषय उनकी चर्चा में आए। दोनों के लक्ष्य और सोच एक जैसे थे। आज उनकी दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी है कि बफे ने अपनी 99 फीसदी संपत्ति बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को दान में दे दी है। इस समय बिल गेट्स 65 साल के हैं और बफे 90 साल के, यानी उम्र में कोई समानता नहीं है लेकिन फिर भी दोनों एक साथ घंटों बिताते हैं, खेलते हैं, पढ़ते हैं और एक-दूसरे से सलाह करते हैं। हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे दोस्त होने चाहिए जिनकी बड़ी सोच व बड़े सपने हो और जिनके साथ आप किसी भी विषय पर बात कर सकें।


व्यापारिक और बौद्धिक दोस्ती के लिए मैं आपको इसी तरह की ‘थॉट फ्रेंडशिप’ करने की सलाह दूंगा यानी ऐसे दोस्त बनाइएं जिनके लक्ष्य और सोच आपके लक्ष्यों और सोच के समान हों। इनके साथ रहने से आप सकारात्मक और ताकतवर महसूस करें। ये आपको हारने नहीं देते। आप इनके साथ एक और एक ग्यारह हो जाते हैं। हो सकता है आपकी उम्र और पृष्ठभूमि में कोई समानता ना हो। हो सकता है कि आप इन्हें बचपन से नहीं जानते हों। यदि आपके पास ऐसे दोस्त हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको तकलीफ में नहीं डाल सकती


निजी दोस्ती : आपके कुछ दोस्त ऐसे होने चाहिए जिनका आपके साथ कोई पर्दा या कृत्रिमता ना हो। हो सकता है कि इनके सपने या लक्ष्य बड़े ना हो, ये दुनिया के बारे में आपकी तरह ना सोचते हो या इन्हें आपकी ऊंचाई या सम्पन्नता से कोई लेना-देना ना हो, लेकिन फिर भी इनके साथ आपको खूब आनंद आए। अक्सर ऐसे कुछ दोस्त हमारे साथ बचपन से होते हैं। फिर भी इन्हें कैसे चुनें, इसके लिए मेरी कुछ सलाह है।


- जब आप गलत करें तो वह आपके सामने सीना तानकर निस्संकोच बोले कि तुमने गलत किया, बिना यह सोचे कि आप नाराज़ होंगे या खुश।


- जब आप कुछ गलत कर रहे हों और किसी की नहीं सुन रहे हैं तो वह आपसे लड़ाई पर उतारू हो जाए। वह अपना ईगो त्याग कर पूरी ताकत झोक देगा, लेकिन आपको गलत काम नहीं करने देगा।


- भले ही वह आपसे रोज़-रोज़ न मिले, लेकिन जब आप तकलीफ में हो तो आपको इस बात का एहसास हो कि आप उसे फोन लगा सकते हैं, वह आपके काम जरूर आएगा।


- वह आपके साथ-साथ आपके परिवार की भी कद्र और फिक्र करें। वह आपको बदलना नहीं चाहें, बल्कि आप जैसे हैं, वैसा ही आपको स्वीकार करें।


हम अक्सर यह गलती करते हैं कि हमारे जीवन में जो हमारी बात सुनकर हां में हां मिलाते हैं, उसे ही दोस्त मानने लगते हैं। जो हमारा जरा भी विरोध नहीं करता, वह हमें अच्छा लगता है। जो हमारी तारीफ या चाटुकारिता करता है, उसे हम शुभचिंतक समझ लेते हैं। यह गलती ना करें और अपने दोस्तों को फ़िल्टर करें। आपके बौद्धिक और निजी दोस्त कौन हैं, उन्हें देखकर ही आपकी ऊंचाई का अंदाज़ लगाया जा सकता है इसलिए दोस्त सावधानी से चुनें।


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