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Vastu Upaay: उत्तर पूर्व दिशा में सामान रखने से बचें, जीवन पर हो सकते हैं ये प्रभाव


Vastu Shastra के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा एक महत्‍वपूर्ण दिशा मानी जाती है। इससे निकलने वाली ऊर्जा का सीधे तौर पर हमारे जीवन एवं स्‍वास्‍थ्‍य पर असर पड़ता है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि उत्तर पूर्व दिशा को लेकर हमें क्‍या ध्‍यान रखना चाहिये।


1. उत्तर पूर्व दिशा में कोई भी नकारात्मक वस्तु जैसे जूते, चप्पल या प्रयोग में न आने वाला सामान न रखें। इससे उत्तर पूर्व दिशा में दोष उत्पन्न हो जाता है।


2. इस क्षेत्र में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। यहीं से कॉस्मिक उर्जा का निर्माण होता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है। ध्यान रहे कि उत्तर पूर्व दिशा के खुला होने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है कि इसमें कॉस्मिक किरणों का उदय एवं प्रवाह बेहतर ढंग से संभव हो पाता है।


3. यदि आपके निवास का कोई कोना कटा हुआ है या बढ़ा हुआ है तो कॉस्मिक किरणों का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है जिससे इस क्षेत्र के अनुसार जो भी ग्रह होगा उसके प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक रोग हो सकता है।







4. उत्तर पूर्व भूमि तत्व की दिशा है जिन व्यक्तियों की जन्म तिथि में 2, 5 एवं 8 अंक नहीं होता है ऐसे व्यक्ति हड्डियों के रोग से ग्रसित हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को उत्तर पूर्व एवं दक्षिण पश्चिम जोन में पीला रंग करवाना चाहिए।


5. किसी की कुंडली में यदि गुरु शुभ प्रभाव में नहीं है और आपके उत्तर-पूर्व जोन में वास्तु दोष है तो ऐसे व्यक्तियों को पाचन तंत्र संबंधी, गॉल ब्लैडर, रक्त चाप, पीलिया आदि रोग होने की आशंका होती है।







6. कई दंपतियों को विवाह के 4-5 साल के उपरांत भी संतान प्राप्ति नहीं होती है जबकि मेडिकल जांच में सबकुछ सामान्य आता है, ऐसे में उत्तर-पूर्व दिशा में वास्तु दोष एक कारण हो सकता है। उत्तर-पूर्व दिशा के प्रभाव से व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होता है।


7. गुरू जो कि संतान का भी कारक है इस दिशा का स्वामी है और उत्तर-पूर्व दिशा में हानि होने पर गुरु रुष्ट रहते हैं तो जीवन में कष्ट बने रहते हैं।



वास्‍तु का भारतीय जीवन में महत्‍व


वास्तु शास्त्र एवं ज्योतिष हमारी भारतीय जीवन प्रणाली से गहराई तक जुड़ी हुई है। हमारे जीवन का लगभग हर क्षेत्र इससे प्रभावित होता है। गृह निर्माण, गृह प्रवेश, शादी-ब्याह, कृषि कार्य, नामकरण आदि रोजमर्रा के कार्यों को शुभ मुहूर्त में प्रारंभ किया जाता है। यहां तक कि कृषि कार्य को भी शुभ मुहूर्त देख कर प्रारंभ किया जाता है। किसी भी भवन का वास्तु उस भवन के निवासियों और उसमें कार्य कर रहे लोगों को प्रभावित करता है।


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