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कोरोना वायरस को लेकर क्या चीन ने दुनिया को धोखे में रखा ?

चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस की चपेट में पूरी दुनिया है.


जहां चीन पर सवाल उठ रहे हैं वहीं WHO भी सवालों के घेरे में है.


ऐसे में सवाल पैदा होता है कि वक्त रहते जानकारी क्यों नहीं दी गई ?


क्या चीन ने दुनिया से जानकारी छुपाने के साथ WHO को धोखा दिया ?



कोरोना वायरस को लेकर क्या चीन ने दुनिया को धोखे में रखा ? क्या उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जानकारी छुपाई ? ये सवाल अहम इसलिए हो जाते हैं कि समय रहते जानकारी के अभाव में दुनिया महामारी का सामना कर रही है. उसे वक्त रहते तैयारी का मौका नहीं मिला.14 जनवरी को WHO का ट्वीट चीन की बातों से मिलता-जुलता सामने आया. ट्वीट में कोरोना वायरस के इंसान से इंसान में संक्रमण के सबूत को नकारा गया. WHO ने चीनी अधिकारियों की जांच के हवाले से बताया. वुहान के स्वास्थ्य बुलेटिन में बताया गया था कि इंसान से इंसान में संक्रमण की आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता. मगर WHO के ट्वीट में ये बात सामने नहीं आई. नई बीमारी के प्रति चेतावनी जारी करनेवाले डॉ ली के मामले पर जब WHO के अधिकारी माइकल रयान से पूछा गया तब उन्होंने कहा. "हमें उनकी मौत का दुख है." मगर उन्होंने चीन को जिम्मेदार नहीं माना. रियान ने कहा कि महामारी की शुरुआत में कुछ दुविधा थी. इसलिए गलत समझ बनाम गलत जानकारी के बीच सावधानी बरतनी चाहिए.हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO को वक्त रहते चेतावनी नहीं देने का आरोप लगाया. WHO पर एक आरोप ये भी है कि संगठन उन्हीं चीनी अधिकारियों से सूचना हासिल कर रहा था जो अधिकारी अपनी जनता को गलत सूचना दे रहे थे. और फिर दुनिया को बता रहे थे. 20 जनवरी को चीन ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर लोगों के बीच वायरस फैलने की बात स्वीकार की. जिस वक्त उसने वुहान को लॉकडाउन किया तबतक बहुत देर हो चुकी थी. WHO को दो सप्ताह लग गए वायरस के फैलाव को वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में. डेढ़ महीने WHO को कोविड-19 को महामारी बताने में गुजर गए.


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