इंदौर;राजबाड़ा से थोड़ी ही दूरी पर प्रिंस यशवंत रोड से हरसिद्धि की ओर जाने वाले रास्ते पर कांग्रेस कार्यालय के पास 2400 स्क्वेयर फीट पर करीब 5 हजार स्क्वेयर फीट का कंस्ट्रक्शन कर अहिल्या स्मृति सदन बनाया गया। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने बुधवार को इस भवन का लोकार्पण किया। जनसहयोग से बने इस अहिल्या स्मृति सदन को बाहर से होलकर कालीन लुक दिया गया है।
दो मंजिला इस भवन में देवी अहिल्या बाई होलकर से जुड़ी कई किताबें और उनकी प्रतिमाएं, मोमेंटो, पालकियां सहित कई अनोखी चीजें यहां रखी जाएगी। इस भवन को तैयार करने में करीब एक करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस दौरान सुमित्रा महाराज (ताई) ने 25 साल पुराना एक किस्सा सुनाया जिस पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाई।
पहले जान लेते हैं इस दो मंजिला भवन के किस फ्लोर पर क्या बना है...
श्री अहिल्योत्सव समिति ने जनसहयोग से दो मंजिला इमारत तैयार की है। आसपास भीड़भाड़ वाला इलाका है। रोड पर गाड़ियां तक खड़ी करने की जगह नहीं मिल पाती है। इसे देखते हुए ग्राउंड फ्लोर पर 50 दो पहिया वाहनों की पार्किंग बनाई है। चौकीदार का रुम भी यहीं बना है। इसके पास एक दुकान बनाई है, जिसे भविष्य में किराए पर देकर इस भवन का मेंटनेंस किया जाएगा।
पहली मंजिल पर लाइब्रेरी, अहिल्या बाई से जुड़ी 1 हजार पुस्तकें रखेंगे
भवन में ऊपरी मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ियां और हाईटेक लिफ्ट लगी है। सीढ़ियों पर भी लोहे के रैलिंग के बजाए लकड़ी का रेलिंग और कांच लगाए गए हैं। पहली मंजिल पर आते ही यहां लाइब्रेरी नजर आती है। यहां देवी अहिल्या बाई होलकर से जुड़ी एक हजार किताबें, साहित्य का संग्रह रखा जाएगा। 500 किताबें समिति के पास पहले से ही है। कुछ किताबें उन्हें और मिलने वाली है। लाइब्रेरी में 20-25 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यहां छात्र और शोधकर्ता आकर किताबों का अध्ययन कर सकते हैं। यहीं सवा घन फीट सागवान की लकड़ी का इस्तेमाल होलकरकालीन ऐलिवेशन दिया है। यहां कान्फ्रेंस हॉल भी है। समिति के पदाधिकारियों के बैठने के लिए 5 कमरे भी हैं।
दूसरे फ्लोर पर हॉल, किराए से दे सकेंगे
श्री अहिल्योत्सव समिति के प्रचार प्रमुख सुधीर देड़गे के मुताबिक भवन के दूसरे फ्लोर पर हॉल बना है। जहां व्याख्यानमाला, साहित्य से जुड़े और धार्मिक कार्यक्रम (छोटे कार्यक्रम) कर सकते हैं। इस हॉल को भी किराए पर देने पर विचार चल रहा है। यहां छोटा कान्फ्रेंस हॉल भी है। यहां भी होलकरकालीन ऐलिवेशन बाहर की तरफ दिया गया है। देड़गे के मुताबिक भवन के बाहर तो होलकरकालीन ऐलिवेशन दिया गया है। मगर अंदर से बिल्डिंग आधुनिक रुप से तैयार की गई है। होलकरकालीन ऐलिवेशन देने के पीछे का उद्देश्य यह है कि देवी अहिल्या बाई होलकर के जीवन चरित्र का आभास यहां हो।
प्रतिमाएं और साहित्य सामग्री रखी जाएगी
संस्था के पास 500 किताबें है, जिन्हें लाइब्रेरी में रखा जाएगा। इसके अलावा देवी अहिल्या बाई की प्रतिमाएं हैं, मोमेंटो। 13 शासकों के राज चिह्न की तस्वीरें, अहिल्या बाई की दो पालकी सहित अन्य साहित्य की सामग्री को इस भवन में रखा जाएगा।
लोकार्पण करने आए अवधेशानंद गिरी महाराज ने भी लाइब्रेरी के लिए कुछ ग्रंथ देने की बात कहीं हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 3 जून 1951 को तत्कालीन सीएम बाबू तखतमल जैन ने भूमि पूजन किया गया था। 60-65 साल पहले भवन का जीर्णोद्धार किया गया था। मगर भवन जर्जर हो गया था। इसलिए इसे तोड़कर नया बनाया गया। 9 अक्टूबर 2017 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस भवन का भूमि पूजन किया था। कोरोना काल को छोड़ दें तो 2 साल में ये भवन तैयार हुआ है।
जब ताई ने सुनाया 25 साल पुराना किस्सा तो बच उठी तालियां
प्रोग्राम के दौरान ताई यानी सुमित्रा महाजन ने मंच से 25 साल पुराना किस्सा सुनाया। ताई ने कहा - आज से करीब 25 साल हो गए है, मुझे याद नहीं है कि तब मैं मंत्री थी या सांसद थी, लेकिन मैं विदेश दौरे पर जा रही थी। मैं हवाई जहाज में चढ़ी। मेरी सीट की तरफ मैं जाने लगी और मैं वहीं के वहीं खड़ी हो गई। मुझे लगा मैं बैठू कि नहीं बैठू। वहां एक युवा संन्यासी बैठा हुआ था। उनकी तरफ देखकर मुझे ऐसा लगा कि कहीं फिर से स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा पर तो नहीं जा रहे। फिर लगा कि मैं यहां बैठू कि नहीं बैठू क्योंकि विदेश की यात्रा है और बहुत घंटे बैठना पड़ेगा। इस व्यक्ति के पास मैं कैसे बैठूं थोड़ी ठिठुर गई, लेकिन सीट थी तो बैठना था। फिर बाद में ऐसा हुआ कि इतनी सहजता से उन संन्यासी ने मुझसे बात शुरु की। सहजता से बात चली कि मुझे कुछ लगा नहीं, लेकिन वो जो पहला इंप्रैशन था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बता ही दिया मुझे ऐसा लगा स्वामी विवेकानंद फिर एक बार विदेश यात्रा पर जा रहे हैं और आज मैं आपको बताती हूं कि वो व्यक्ति स्वामी अवधेशानंद जी ही थे।
ताई ने अवधेशानंद गिरी महाराज को लेकर कहा कि कहा कि मन की बहुत इच्छा थी कि आपके चरण अहिल्योत्सव समिति के कार्यालय पर पड़ें।
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