रविवार, 25 सितंबर को पितृ पक्ष की अमावस्या है।इस दिन आश्विन मास का कृष्ण पक्ष खत्म हो जाएगा। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। इस दिन किए गए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण और धूप-ध्यान से पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है। इस वजह से अमावस्या पर पितरों के लिए कम से कम से धूप-ध्यान जरूर करना चाहिए।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का महत्व जानने के लिए हमने बात की है उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से। पं. शर्मा कहते हैं कि रविवार और अमावस्या का योग होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। सूर्य देव की पूजा के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए। दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए।
पितृ पक्ष की अमावस्या से जुड़ी परंपराएं
- इस बार पितृ पक्ष की अंतिम तिथि 25 सितंबर को है। इस घर-परिवार के साथ ही पूरे कुटुंब के मृत सदस्यों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
- जिन लोगों की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, उनके लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर धूप-ध्यान आदि करना चाहिए।
- अगर इस बार पितृ पक्ष में किसी मृत सदस्य के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान आदि करना भूल गए हैं तो उनके लिए भी इस अमावस्या पर ये कर्म करना चाहिए।
- अमावस्या पर खीर-पुड़ी, सब्जी बनाएं और जलते हुए कंडे पर गुड़-घी के साथ अर्पित करें। इस तरह धूप देते समय घर के पितरों का ध्यान करना चाहिए। धूप देने बाद गाय, कुत्ते और कौओं के लिए घर के बाहर खाना रखें। चींटियों के लिए घर के बाहर चीनी डालें।
- अगर घर के आसपास तालाब हो तो मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।
- जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े और धन का दान करें। अब ठंड का समय शुरू होगा तो कंबल का दान भी करें।
- गौशाला में गायों की देखरेख के लिए दान-पुण्य करें।
ऐसे करें सूर्य की पूजा
पं. शर्मा के मुताबिक अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे लोटे में पानी भरकर उसमें लाल फूल, चावल डाल लें। इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें।
0 टिप्पणियाँ