आयकर अधिकारी बिना जांच के और करदाता का पक्ष सुने बिना अपने अनुमान या शंका के आधार पर टैक्स नहीं लगा सकता। यह फैसला इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) इंदौर बेंच ने इंदौर रीजन की तीन कंपनियों की दायर अपील पर दिया है। ट्रिब्यूनल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस पीपी भट्ट फैसला देने वाली इंदौर बेंच में भी शामिल हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है यह फैसला देश के अन्य ट्रिब्यूनल के लिए भी मान्य होगा। बेंच में अन्य सदस्य मनीष बोराड हैं।
दरअसल, इंदौर रीजन की तीन कंपनियों ने कुछ कंपनियों से लोन लिया था। आयकर अधिकारी ने लोन देने वाली कंपनियों को शैल कंपनी मानते हुए लोन राशि को कंपनी करदाताओं की आय में जोड़कर टैक्स लगा दिया। आय करीब 25 करोड़ जोड़ी गई, जिससे टैक्स अधिक आ गया। कंपनियों की ओर से सीए अनिल गर्ग ने ट्रिब्यूनल में आवेदन कर कहा कि इस मामले में आयकर अधिकारी ने कोई जांच ही नहीं की। केवल अनुमान से इसे बोगस कंपनी से लोन मानकर आय में जोड़ दिया।
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